September 16, 2008
कसूरवार है तो डॉन की माशूका का बाप!
जेल से छूटने के बाद कुछ दिन मीडिया की सुर्खियां बनी मोनिका बेदी बाद में गुमनामी की जिंदगी जी रही थी। मेरी जब उनसे उनके गांव चब्बेवाल (होशियारपुर पंजाब) मुलाकात हुई तो मोनिका में छटपटाहट थी। फिर से बड़े या छोटे पर्दे पर आ जाने की। बिग बॉस के घर राहुल से उसका नाम क्या जुड़ा कि मीडिया ने डॉन की माशूका की खबरों को फिर से हवा देना शुरू कर दिया। मोनिका को लेकर दोस्तों के साथ बैठकर अलग-अलग तरह की बातें होती हैं। लेकिन जानते हैं क्या सपने पूरे करने की तलाश में मोनिका अपराध की खाई तक कैसी पहुंची...कौन है इसके लिए जिम्मेदार..इसके जिम्मेदार हैं मोनिका के पिता प्रेम बेदी।
जिस रोज डॉन की यह माशूका जेल से अपने गांव चब्बेवाल पहुंची,उसके चंद रोज बाद मैं मोनिका से इंटरव्यू करने चब्बेवाल गई थी। वह कहीं गई हुई थीं। जल्दी पहुंचने के कारण उनके पिता प्रेम बेदी मुझसे काफी देर तक बात करते रहे।
बीते 35 साल से वह नार्वे में रेडीमेड गारमेंट्स का बिजनेस कर रहे हैं। मोनिका का भाई बॉबी भी इसी काम में है। मैंने पूछा आप मौनिका से नाराज नहीं तो कहने लगे कि बाप ही नाराज हो जाता तो कहां जाती मेरी बेटी...कौन बचाता इसे...। मोनिका की मां पैरालिसिस के बाद बिस्तर पर थीं। चब्बेवाल में रह रहे मोनिका के चाचा ने बड़े भाई प्रेम का साथ नहीं दिया क्योंकि वह बड़े भाई और मोनिका से नाराज थे। उस रोज उन्होंने मेरे साथ अपने दिल के कई राज खोले। कहने लगे कि मोनिका घर में सबसे ज्यादा प्यार मुझसे ही करती थी,परिवार ने उसे इस मुसीबत में अकेला छोड़ दिया लेकिन मैं कैसे छोड़ देता अपनी बच्ची को? फिर मुझसे पूछने लगे कि मेरी बेटी ने इतना बड़ा अपराध तो नहीं किया जितनी उसे सजा मिली है। मैंने पूछा कि पिता होने के नाते आपको कैसे पता नहीं लगा कि आपकी बेटी क्या कर रही है... उसे किसके फोन आ रहे हैं? उनका कहना था कि किसी फोन कॉल या मोनिका के बिहेवियर से इसका पता तक नहीं चला कि ऐसा हो रहा है। प्रेम बेदी को अपनी लाडली से इतना प्रेम है कि जब वह जेल में पहली बार मोनिका से मिले तो मोनिका ने उनसे रोते हुए सॉरी कहा... और प्रेम बेदी ने बेटी का गुनाह माफ कर दिया।
वह कहने लगे कि मोनिका तो कमसिन थी, भोली थी, अनजान थी। वह नार्वे में पली बढ़ी इन लोगों (अबू सलेम) की मंशा नहीं समझती थी। वह कहने लगे कि उन्होंने मेरी बेटी को मायानगरी के झूठे ख्वाब दिखाए और कहा कि हम तुम्हें बहुत ऊपर तक पहुंचा देंगे। प्रेम बेदी की बातों से एक बात साफ थी कि बड़े बैनर की फिल्में हथियाने के लिए मोनिका अबू के जाल में फंसी। प्रेम बेदी ने अपनी बेटी की कभी सुध तक नहीं ली। अगर मोनिका नार्वे में पली-बढ़ी थी तो प्रेम बेदी तो ऐसे लोगों की मंशा से अनजान नहीं थे। उन्होंने क्यों इस बात का पता नहीं लगाया कि मोनिका को किसके फोन आ रहे है या फिर मोनिका को आगाह नहीं किया?
प्रेम बेदी इस गलती को मानते भी हैं। मोनिका के चाचा भी इसके लिए बड़े भाई प्रेम को जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने तो मोनिका से बात तक करनी छोड़ दी थी। उन्होंने मुझसे कहा कि सब भाई साहब के प्यार का नतीजा है।
हर कोई चाहता है कि उसकी औलाद तरक्की करे उसका नाम रोशन करे, लेकिन संघर्ष के थपेड़ों से बचने के लिए और किनारे की तलाश में क्या किसी गलत आदमी का तो सहारा नहीं लिया जा रहा... गलत राह पर तो नहीं चला जा रहा, यह मोनिका के पिता को ही देखना था। औलाद की चाल मां-बाप को बता देती है कि वह किस राह पर है तो प्रेम बेदी इससे कैसे अनजान रहे। पिता की नजरअंदाजी ने छरहरे बदन वाली संगमरर जैसी सफेद सुंदर सौम्य, विनम्र पापा की इस लाडली के तार अपराधियों के साथ ऐसे जोड़े कि जिसे मोनिका शायद इस जन्म में धो नहीं सकती।
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4 comments:
बात सही है।
शुभकामनाओन के साथ स्वागत है ब्लॉगजगत में।
कृपया कमेंट बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटाएं।
अच्छा लिखा है आपने, आपकी प्रोफाइल ने भी प्रभावित किया. स्वागत ब्लॉग परिवार और मेरे ब्लॉग पर भी.
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
(उल्टा तीर)
Very nice ! bahut accha likha hai!
You are Welcome to my blog!
www.chitrasansar.blogspot.com
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