July 12, 2008

ओ डार्लिंग...लव कैन नैवर डाई..

पिछली पोस्‍ट से आगे....

अपने प्रेम की बात करते हुए कॉरल की आंखें चमक उठती थीं। लगता था यह ऑफिसर की याद उसके जख्‍मों पर मरहम रखती है। एक दिन मैंने पूछा आपको याद आती है उस आदमी की....। कॉरल हंसकर कहती-ओ डार्लिंग...लव कैन नैवर डाय। वह यहां कैसे आई, बताती थी-सोलह साल की थी तो यहां अपनी आंटी के पास आई थी। उनके घर एक यंग आईएएस का आना जाना था जिससे मेरी दोस्‍ती हो गई। वापस लौटी तो मैंने अपने घर में उसके बारे में बताया लेकिन मेरे घरवाले उससे मेरी शादी के लिए राजी नहीं हुए। मेरी शादी ऑस्‍टरेलिया में ही कर दी गई। मेरा पति शराबी था और मारपीट भी करता था। जब मैं थक गई तो, वहां से भाग आई। मेरी मुलाकात होम सेक्रेटरी से दोबारा हुई। हम लोग मिलते रहे। एक रोज उसने भी कहा कि वह मुझसे मेरी शादी नहीं कर सकता, क्‍योंकि उसे कैंसर था और वह ऐसी स्थिति में मुझसे शादी करके मे्रा जीवन बरबाद नहीं करना चाहता था। वह वास्‍तव में कुछ दिनों बाद मर गया। मेरा जीवन उसी दिन खत्‍म हो गया समझो। मैं अकेली थी और इसे देखकर कई मर्दों ने मुझे तंग करना शुरू कर दिया। मैं डर गई और खुद को बचाने के लिए कोलकाता में मदर टेरेसा के पास चली गई। मिशनरीज ऑफ चैरिटी में एक दिन एक अमेरिकन दान देने आया। वह हॉलीवुड के मशहूर स्‍टूडियो के मालिक का बेटा था। एडवर्ड कैट़स उसका नाम था। एक दिन उसने मुझे शादी के लिए ऑफर किया। मदर टेरेसा के आशीर्वाद से हमारी शादी हो गई। कैटस अमेरिका गया और कहते हुए गया कि वहां मुझे बुला लेगा। वो कभी नहीं लौटा और मैं फिर अकेली हो गई। मुझे एक दिन कैटस के पिता का पत्र मिला कि उसने आत्‍महत्‍या कर ली है। मैं टूट चुकी थी और यहां चंडीगढ़ दोबारा आ गई। मेरे पास पैसे नहीं थे। मुझे कश्‍मीर में संयुक्‍त राष्‍ट के ऑफिस में काम करना पड़ा।
कॉरल की कहानी में दुख अभी और भी थे। उसे यहां शोषण का शिकार होना पड़ा। कश्‍मीर से परेशान होकर वह फिर चंडीगढ़ आ गई। पूरे जीवन की कुल कमाई थी उसके 6 बच्‍चे। इनमें से कोई यहां रुकने को तैयार नहीं था। सब यहां से चले गए, उसे अकेला छोड़कर। वह यहां से जाना नहीं चाहती थी लेकिन अपनी बेटी से मिलने के लिए हर पल तडपती रहती। वह बताती है पहले बच्‍चे पैसे भेज देते थे लेकिन बाद में सब बंद हो गया। कॉलिन बहुत धनी नहीं थी पर परवाह बहुत करती थी।
जब मैं कॉरल से मिली तो 6 महीने से उसे कहीं से पैसे नहीं मिले थे। उसकी आखिरी ख्‍वाहिश क्‍या है....मैं पूछती तो उसकी सांस रुकने लगती। मानों उसे पता था कि उसकी यह इच्‍छा कभी पूरी नहीं हो पाएगी। वह फफक कर रो पड़ती है। आप उसके पास क्‍यों नहीं चली गईं...कॉरल ने बताया था-मैंने कागज तैयार करवाए थे लेकिन ऐन वक्‍त पर एजेंट ने पंद्रह हजार रुपए मांगे जो मेरे पास नहीं थे। उसी दौरान मुझे पैरालि‍सिस हो गया।

तो ये थी कॉरल की कहानी। मैं इसमें बहुत सारे ऐसे इमोशन्‍स को शायद उतार भी नहीं पाई हूं जो उससे बातचीत के दौरान हमारे बीच जिंदा थे। कॉरल को वापस भिजवा सकने और उसकी बेटी से मिलवा पाने की कोशिश मैं नहीं कर पाई, क्‍यों.....शायद मैं इस बात की गंभीरता को उस वक्‍त समझी ही नहीं। मैंने जॉब जाइन ही की थी और शायद संसाधन भी इतने नहीं थे उस वक्‍त। आज मैं उस वक्‍त को वापस लाना चाहती हूं काश.....एक बार कॉरल जिंदा हो जाए और मैं उसके लिए कुछ कर सकूं। उसके पडोसियों ने बताया कि कॉरल के मरने का पता उन्‍हें भी रिक्‍शा में जाते हुए एक ताबूत को देखकर ही लगा था। कॉरल मर गई, लेकिन उसकी कहानी जिंदा है मेरी यादों में।

July 10, 2008

मुझे माफ करना कॉरल.....

क्‍या होता है प्‍यार, क्‍या होता है उसका निबाह और क्‍या होता है किसी के लिए खुद को फना कर देना....। ये सब हम फिल्‍मों में देखते हैं। महसूस करते हैं और कई बार अपनी आंख भी भिगो लेते हैं। लेकिन मैंने प्‍यार का जो साक्षात रूप अपने जीवन में देखा वो अतुलनीय है। उससे मिलने के बाद ही मैंने जाना प्‍यार क्‍या होता है। कैसे एक औरत अपने निपट अकेलेपन के जंगल में प्रेम के धुंधले जुगनू को देखते हुए पूरा जीवन बिता देती है। कैसे वो मौत के बिस्‍तर पर पड़ी रहकर भी अपने प्रेम को याद कर ठहाका लगा सकती है। प्रेम में कितनी ताकत होती है ये मैंने कॉरल को देखकर जाना था। उसने प्रेम किया लेकिन ईश्‍वर ने उसके भाग्‍य में सिर्फ अकेलापन और दर्द लिखा था। वो भागती रही उससे, लेकिन समय का फंदा उसे फंसा ही लेता था हर बार। एक औरत के लिए प्रेम कितना महंगा साबित हो सकता है, किस तरह से उसकी जिंदगी मौत से बदतर हो जाती है, मैंने कॉरल को देखकर जाना। लेकिन सच यह भी था कि कॉरल का देखकर ही पता चला कि उसी सुनसान बियाबान में प्रेम एक खुशबू की तरह वजूद को कैसेट महकाता रहता है। उस औरत के प्‍यार, इंतजार और तड़प को सलाम करती हूं मैं। मेरा विश्‍वास प्रेम पर है और इसीलिए मैं अपने ब्‍लॉग की शुरुआत इसी प्रेमकहानी के साथ कर रही हूं। मैं किसी न किसी तरह खुद को अपराधी महसूस करती हूं कि उसकी कोई मदद नहीं कर पाई, शायद कॉरल इसके लिए मुझे माफ कर दे। ये पोस्‍ट कॉरल को समर्पित हैं......

छह साल बाद मैं अपने शहर चंडीगढ़ में दोबारा लौटी हूं। कई दिनों से सोच रही थी कॉरल से मिलने के लिए। इन बरसों में इस शहर की यादों ने मेरे साथ सफर किया है। इनमें कॉरल की याद भी थी। अनायास मैं उसके घर की तरफ मुड़ चली। हालांकि उसके घर का नंबर याद नहीं था पर याद था वो घर जिस एनेक्‍सी में वो अकेली रहा करती थी। मैंने उसे अपने अखबार के लिए एक बार इंटरव्यू किया था। उसके बाद मैं अक्‍सर उससे मिलने जाने लगी थी। मैंने उसका मकान ढूंढ लिया। लेकिन यहां एक सदमा मेरा इंतजार कर रहा था। पता चला कि दो साल पहले ही उसकी मौत हो चुकी है। पड़ोस के लोगों से पूछा तो उन्‍होंने बताया-हां यहां एक ऑस्‍टरेलियन बूढ़ी औरत यहां रहती थी लेकिन उसे मरे दो साल हो गए। कॉरल इस दुनिया से वहां जा चुकी है जहां से कभी वापस नहीं आएगी। लेकिन उसकी आत्‍मा अगर कहीं से भी मुझे देख पा रही है तो मुझे माफ कर दे क्‍यों‍कि मैं उसकी आखिरी चाह पूरी नहीं कर सकी।
उसके पास यादें थीं। बच्‍चों की, उसके देश की, मदर टेरेसा की....उस जिंदगी की भी जिसकी वास्‍तवकिता काफी नाटकीय रही। सबसे दूर, बहुत बीमार, और उम्र के उस पड़ाव पर जहां यादें तंग करती हैं और सपने जवाब दे जाते हैं। सेक्‍टर 11 में एक कोठी की एनेक्‍सी में पड़ी कॉरल शेफर्ड के पास एक ही इच्‍छा थी कि वो एक बार मरने से पहले ऑस्‍टरेलिया जा बसी अपनी बेटी कॉलिन को एक बार देख सके। उसे मालूम था कि यह इच्‍छा जल्‍दी से पूरी होने वाली नहीं है। ऐसे में मैं शायद फरिश्‍ता लगती थी। वह मुझसे बहुत सारी बातें करती थी, जीवन की हर जंग में हारी कॉरल टूटी-फूटी हिंदी बोला करती थी। उसे बहुत उम्‍मीदें थी शायद मुझसे। हमेशा मुस्‍कुराती और हंसती, लेकिन बीच में ही आंसुओं में डूबकर रोना शुरू कर देती। वह चाहती थी कि उसकी हालत की खबर उसकी बेटी तक पहुंच जाए। उसके पास एक अटेंडेंट थी जो चलने, फिरने से लाचार कॉरल का सहारा थी। उस दिन मेरे सामने ही फोटो खिंचवाने के लिए उस अटेंडेंट शारदा से मेकअप करवाया। उसके होंठ सुर्खी से रंगे थे और आंख आंसुओं से।
एक जमाने में कॉरल हसीन थी, उसने प्‍यार किया था, और इस तरह किया था कि वह खुद को भी भूल गई। पागलपन की हद तक प्‍यार में डूब गई थी एक इस शहर में रहने वाले एक युवा होम सेक्रेटरी के। तब वह यहां किसी रिश्‍तेदार से मिलने आई थी। उस होम सेक्रेटरी से उसकी शादी नहीं हो सकी थी लेकिन वह यहीं की होकर रह गई थी। कॉरल ने बताया-हम यहां आंटी के पास आया था लेकिन होम सेक्रेटरी के लिए यहीं रह गया।