August 08, 2010

अपनी औलाद के कातिल


मेहम चौबिसी का यह ऐतिहासिक चबूतरा है। हरियाणा के रोहतक जिले से अंदाजन 22 किमी की दूरी पर । खाप पंचायतों की ओर से लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों के लिए इस चबूतरे की बहुत बहुत मान्यता है । बीते रविवार ( एक अगस्त ) भी यहां खूब गहमा-गहमी रही। यहां सर्वजातिय पंचायत बुलाई गई थी। झक सफेद कुर्ते-पजामें और कंधे पर गमछा लपेटे सात सौ से लेकर एक हजार तक ग्रामीण और पहली बार भारी तादाद में महिलाएं भी पहुंची इस पंचायत में। इससे पहले मैं कुरुक्षेत्र और पाई में आयोजित खाप पंचायतों में भी जा चुकी हूं लेकिन यह पहला मौका था जबकि महिलाओं ने भी पंचायत में भाग लिया हो। विवादित गोत्र विषय पर वक्ताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर जहर उगला । महम चौबिसी के इस चबूतरे से शब्द नहीं अंगारे बरसे।

कुल मिलाकर बातें तो वही पुरानी थी कि समगोत्री विवाह प्रतिबंधित हो। ऑनर किलिंग पर प्रस्तावित कानून की मुखालफत की गई। हमेशा की तरह मीडिया को भी कोसा। कहने लगे कि मीडिया इन्हें तालीबानी कहना बंद करे। लेकिन इनके तेवर देख और फरमान सुन मीडिया तो क्या हर कोई इन्हें तालीबानी ही कहेगा। किसी वक्ता ने मांग की कि टीवी देखना बंद किया जाए,किसी ने मांग रखी कि लड़कियां नाचना बंद करें, किसी ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर उंगली उठाई,किसी ने कहा कि अगर बच्चे कहना न मानें तो ऐसे बच्चों को मार ही देना चाहिए,किसी ने कहा कि ऑनर किलिंग की बात उठाकर सरकार हमारे सामाजिक अधिकार खत्म करना चाह रही है, किसी ने कहा कि हम खून-खराबे से नहीं डरते , सड़कों पर खून बहा देंगे,किसी ने कहा कि पंचायतें सुप्रीम कोर्ट से ऊपर हैं,अगर ऐसा नहीं है तो सरकार पंचायती राज खत्म करे, किसी ने कहा कि कानून हमारे लिए है हम कानून के लिए नहीं, इसलिए जैसा हम चाहेंगे वैसा कानून बनाएंगे और सरकार को हमारी बात माननी ही होगी क्योंकि सरकारें हम बनाते हैं। किसी ने कहा कि हमें आजादी भगत सिंह,चंद्रशेखर और उद्धम जैसों की बदौलत मिली है इसलिए जरुरत पड़ी तो हम सड़कों पर निकलेंगे और मरने से भी नहीं डरेंगे। किसी ने कहा कि ऊत का गुरु जूत। आग उगलते भाषण सुन जनता से एक आदमी उठा और फिल्मी स्टाइल में कहने लगा कि गोत्र में शादी नहीं होने देंगे चाहे रोज मारना पड़े।
और कुछ इस तरह की बातें हुई जो लिखी नहीं जा सकतीं। इनके मुंह से निकलती आग ने माहौल को गरमा दिया। रीति-रिवाजों की दुहाई दे गांववासियों को भड़का दिया। अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए यह लोग जनता को गुमराह करते नजर आए। असल बात यह है कि हरियाणा में समगोत्री विवाह न के बराबर है और खाप पंचायतें सारा हो-हल्ला कर रही हैं समगोत्री विवाद पर। हरियाणा ही क्या दक्षिण भारत को छोड़ दिया जाए तो उत्तर भारत में समगोत्री विवाह का फीसद बहुत कम है। खाप पंचायतों का कहना है कि दूसरी जाति में चाहे प्रेम विवाह कर लो लेकिन एक गोत्र में नहीं शादी नहीं होने देंगे। लेकिन हरियाणा में समगोत्री विवाह की समस्या है ही नहीं फिर इतना हल्ला क्यों? गौरतलब है कि मनोज और बबली कांड को छोड़ कर हरियाणा में ऑनर किलिंग के हर केस में विवाह दूसरी जाति में किया गया था और गोत्र तो दूर-दूर तक नही मिलता था। यहां मुद्दा है तो सिर्फ इतना है कि अपना राजनीतिक वर्चस्व खोये हुए कुछ मुट्ठी भर नेताओं को ज्वलंत मुद्दा और मंच मिल गया। कुछ नासमझ लोग इनके सुर में सुर मिला रहे हैं। सत्ताधारी इसलिए नहीं बोल रहे कि उन्हें वोटवैंक खोने का डर है। अगर प्रेम और मनमर्जी से शादी करके यहां के लड़के-लड़कियां समाज और संस्कृति को बिगाड़ रहे हैं तो यह पंचायत के नेता भी कौन सा समाज बनाने की बात कर रहे हैं? जो समाज खून से सना हो...जहां मां-बाप अपनी ही औलाद का खून बहाएं, जो समाज किसी भी छोटी सी बात पर हथियार उठाने के लिए उकसाता हो, जो समाज हमेशा जातिय भेदभाव को बनाये रखना चाहता हो, जो समाज किसी की सुनने को तैयार नहीं,जो समाज औरतों को उनका हक देने को तैयार नहीं ,जिस समाज में शादी के लिए औरतें दूसरे राज्यों से खरीकर लाई जा रही हों,जिस समाज में औरतों को बोलने का अधिकार नहीं....
संस्कृति एक बहती धारा है। जिसमें समयानुसार परिवर्तन होता रहता है। नए और पुराने विचार एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां हथियारों से नहीं दिमाग से काम लेना चाहिए। अन्यथा हरियाणा और पश्चमी उत्तर प्रदेश में स्वयंभू पंचायतें जैसा माहौल तैयार कर रही हैं उससे सड़कों पर खून ही बहेगा वह भी अपनी ही औलाद का।