April 26, 2009

ऐसी दीवानगी...


रिपोर्टिंग के दौरान एक पागलखाने में जाना हुआ। तरह-तरह की महिलाएं। बाल नोचती, कुछ-कुछ बोलती,अजीबो-गरीब हरकतें करतीं । उनमें एक ऐसी औरत ऐसी भी थी जो हमेशा चुप रहती थी। वहां की मैनेजर ने बताया कि यह महिला कभी कुछ भी नहीं बोलती..सभी से अलग-थलग रहती है, सुबह समय पर उठती है, सोती है और खाना खाती है। जब सब सही है तो भई पागलखाने में क्यों है? शक्लोसूरत से ऊंचे घराने की लगती थी, पढ़ी-लिखी। मैनेजर का कहना था कि कभी-कभी शाम ढले टेनिस भी खेलती है। यह और भी हैरान कर देने वाली बात थी। मैंने कहा यह पागल तो दिखाई नहीं देती। मैनेजर ने बताया कि इसके पति का यही कहना है कि यह पागल है। उसने बताया महिला के पति का कहना है कि वह उससे प्यार नहीं करती लेकिन प्यार न करने की यह कौन सी सजा है कि उस औरत को पागलखाने में छोड़ दो। मैनेजर ने आगे की कहानी बताई कि औरत का कहना है कि वह सत्यजित राय (फिल्म निर्माता-लेखक) से प्यार करती है। यह सुनकर मैंने बात हंसी में टाल दी लेकिन मैनेजर उस बात को गंभीरता से बता रही थी। यह सच था कि वह पगली सत्यजित राय से इतनी मोहब्बत करती थी कि न तो अपनी शादी को स्वीकार कर सकी और न पति से प्यार कर सकी। राय से उसकी दीवानगी उसका पागलपन बन गई। जिसे उसने कभी देखा तक नहीं था। वह जानती थी राय उसे कभी मिल ही नहीं सकते। लेकिन हद के पार दीवानगी ने उसे पागलखाने जरूर पहुंचा दिया था।

8 comments:

श्यामल सुमन said...

कुछ न कुछ पागल सभी कहते लोग हजार।
पढ़ा रिपोर्टिंग तो लगा यह कैसा संसार।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.

विवेक रस्तोगी said...

जुनून कह सकते हैं या कुछ और...

अनिल कान्त said...

हाँ इंसान में दीवानगी कभी भी और कैसी भी हो सकती है ...खासकर मोहब्बत

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

सतीश पंचम said...

रोचक।

word verification को हटा दें तो अच्छा रहे। नाहक का बखेडा है।

Anil Kumar said...

मीराबाई के साथ भी ऐसा ही हुआ था। उन्हें भी पागल करार दिया गया था। कम से कम इस महिला को विषपान तो नहीं कराया गया।

Anonymous said...

मनीषा जी
पोस्ट बहुत मार्मिक है.थोड़ा और लिखना चाहिए था.एक रिपोर्टर की तरह आप बच कर निकल गए हो.आपकी संवेदना दिखाई देगी तो उस पगली की पीड़ा और छूएगी.वैसे प्रेमी, कवि, दीवाने होते ही हैं पागल.मगर इस स्त्री का प्रेम अनोखा और चौंका देने वाला है.एसी दीवानगी देखी नहीं कहीं...
गीताश्री

सहर् said...

wo mohabat hi kya jisme deewangi na ho

मोहन वशिष्‍ठ said...

मनीषा जी बहुत ही मार्मिक पोस्‍ट लिखी हे आपने निरंतरता बनाए रखें शुभकामनाएं